Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईश्वरवल्लभ भट्टराई |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=ईश्वरवल्लभ | + | |रचनाकार=ईश्वरवल्लभ |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=आगोका फूलहरू हुन् आगोका फूलहरू होइनन् / ईश्वरवल्लभ |
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> |
16:25, 11 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
आकाश मात्रै नहेर
धरती पनि हेर्नुपर्छ
धरतीले मानिसलाई सारै माया गर्छ
जति नै तारा आकाशमा छन्
त्यति नै थोपा यहाँ पानी पर्छ,
त्यति नै बिरुवा यहाँ सर्छ
क्षितिज जतिजति टाढिंदै जान्छ
पाइला त्यति त्यति नै यहाँ सर्छ
कहीँ बत्ती बल्दै बल्दै जान्छ,
कहीँ बत्ती निभ्दै निभ्दै जान्छ
तर पयर मानिसको सर्दै सर्दै जान्छ।