भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बतूता का जूता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना }} Category:बाल-कविताएँ बतूता का जू...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
 
|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
 
}}
 
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
+
{{KKCatBaalKavita}}
 +
{{KKPrasiddhRachna}}
 +
<poem>
 +
जब सब बोलते थे
 +
वह चुप रहता था
 +
जब सब चलते थे
 +
वह पीछे हो जाता था
 +
जब सब खाने पर टूटते थे
 +
वह अलग बैठा टूँगता रहता था
 +
जब सब निढाल हो सो जाते थे
 +
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था
 +
लेकिन जब गोली चली
 +
तब सबसे पहले
 +
वही मारा गया
  
बतूता का जूता<br>
+
इब्नबतूता पहन के जूता
इब्नबतूता पहन के जूता<br>
+
निकल पड़े तूफान में
निकल पड़े तूफान में<br>
+
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
थोड़ी हवा नाक में घुस गई<br>
+
घुस गई थोड़ी कान में
घुस गई थोड़ी कान में<br>
+
 
कभी नाक को, कभी कान को<br>
+
कभी नाक को, कभी कान को
मलते इब्नबतूता<br>
+
मलते इब्नबतूता
इसी बीच में निकल पड़ा<br>
+
इसी बीच में निकल पड़ा
उनके पैरों का जूता<br>
+
उनके पैरों का जूता
उड़ते उड़ते जूता उनका<br>
+
 
जा पहुँचा जापान में<br>
+
उड़ते उड़ते जूता उनका
इब्नबतूता खड़े रह गये<br>
+
जा पहुँचा जापान में
मोची की दुकान में।
+
इब्नबतूता खड़े रह गये
 +
मोची की दुकान में
 +
</poem>

21:40, 8 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

जब सब बोलते थे
वह चुप रहता था
जब सब चलते थे
वह पीछे हो जाता था
जब सब खाने पर टूटते थे
वह अलग बैठा टूँगता रहता था
जब सब निढाल हो सो जाते थे
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था
लेकिन जब गोली चली
तब सबसे पहले
वही मारा गया

इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
घुस गई थोड़ी कान में

कभी नाक को, कभी कान को
मलते इब्नबतूता
इसी बीच में निकल पड़ा
उनके पैरों का जूता

उड़ते उड़ते जूता उनका
जा पहुँचा जापान में
इब्नबतूता खड़े रह गये
मोची की दुकान में