भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पौडर लगाये अंग / वचनेश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: लेखक: वचनेश Category:कविताएँ Category:छन्द Category:वचनेश ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ पौडर ...) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | [[Category: | + | |रचनाकार=वचनेश |
− | + | }} | |
− | + | [[Category:छंद]] | |
− | + | ||
पौडर लगाये अंग गालों पर पिंक किये | पौडर लगाये अंग गालों पर पिंक किये |
14:47, 17 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण
पौडर लगाये अंग गालों पर पिंक किये
कठिन परखना है गोरी हैं कि काली हैं।
क्रीम को चुपर चमकाये चेहरे हैं चारु,
कौन जान पाये अधबैसी हैं कि बाली हैं।
बातों में सप्रेम धन्यवाद किन्तु अन्तर का,
क्या पता है शील से भरी हैं या कि खाली हैं।
'वचनेश` इनको बनाना घरवाली यार,
सोच समझ के ये टेढ़ी माँग वाली हैं।
-(परिहास, पृ०-१०) वचनेश