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"तेरा हाथ मेरे काँधे / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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तेरा हाथ मेरे काँधे पे दर्या बहता जाता है
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कितनी खामोशी से दुख का मौसम गुजरा जाता है
  
तेरा हाथ मेरे काँधे पे दर्या बहता जाता है<br>
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नीम पे अटके चाँद की पलकें शबनम से भर जाती हैं
कितनी खामोशी से दुख का मौसम गुजरा जाता है।<br><br>
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सूने घर में रात गये जब कोई आता-जाता है
  
नीम पे अटके चाँद की पलकें शबनम से भर जाती हैं,<br>
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पहले ईँट, फिर दरवाजे, अब के छत की बारी है
सूने घर में रात गये जब कोई आता-जाता है।<br><br>
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याद नगर में एक महल था, वो भी गिरता जाता है
 
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पहले ईँट, फिर दरवाजे, अब के छत की बारी है<br>
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याद नगर में एक महल था, वो भी गिरता जाता है।
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15:28, 14 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

तेरा हाथ मेरे काँधे पे दर्या बहता जाता है
कितनी खामोशी से दुख का मौसम गुजरा जाता है

नीम पे अटके चाँद की पलकें शबनम से भर जाती हैं
सूने घर में रात गये जब कोई आता-जाता है

पहले ईँट, फिर दरवाजे, अब के छत की बारी है
याद नगर में एक महल था, वो भी गिरता जाता है