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− | + | बरसात क्या आई | |
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− | नाचती पत्तियों पे | + | |
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18:01, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
1
खिड़की बन्द कर दी
दरवाजा पलट दिया
रोशनदानों के कानों में
कपड़ा ठूँस दिया
कोई सूराख ना रहा जिसे
बन्द न किया गया
फिर भी न जाने कब और कैसे
याद से घर भर गया
2
पहली याद आई
तिनका धर चली गई
दूसरी ने तिनकों पर
सजा दिए तिनके
घोंसला चहचहा उठा
3
मानसून का रुख़ बदला
हवा सूख कर चिमट गई
थम गईं साँसे
बादल टकरा उठे फेफड़ों से
फरफराती कुछ बूंदें
नाचती पत्तियों पे
बरसात क्या आई
यादें बरस गईं