छो (चाँदनी की उधारी / रति सक्सेना moved to चांदनी की उधारी / रति सक्सेना) |
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| − | तुम्हारे हर कदम | + | |
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18:11, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
उन सभी कदमो को
गिन कर देखूँ यदि
तुम्हारे साथ चले थे मैंने
पाँव फिर से
चलना भूल जाएँ
सड़क भूल जाए रास्ता
उन लम्हों को जोड़ कर देखूँ
बिताए थे तुम्हारे साथ
समय की धड़कन रुक जाए
उस आँच को
क्या पहचानोगे तुम
जिस में पकता रहा मेरा
अन्तस रस
तुम्हारे हर कदम
हर साथ
हर बून्द प्यार
चांदनी की उधारी था