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मशाल का बेटा धुआँ,
 
मशाल का बेटा धुआँ,
 
 
:::गर्व से गगन में गया,
 
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शून्य में खोया
 
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कोई नहीं रोया।
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मशाल की बेटी आग
 
मशाल की बेटी आग
 
 
:::यहीं धरती पर रही,
 
:::यहीं धरती पर रही,
 
 
चूल्हे में आई
 
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नसों में समाई।
नसों में समाई ।
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11:50, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

मशाल का बेटा धुआँ,
गर्व से गगन में गया,
शून्य में खोया
कोई नहीं रोया।
मशाल की बेटी आग
यहीं धरती पर रही,
चूल्हे में आई
नसों में समाई।