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"आयो घोष बड़ो व्यापारी / देवेन्द्र आर्य" के अवतरणों में अंतर
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आयो घोष बड़ो व्यापारी | आयो घोष बड़ो व्यापारी | ||
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पोछ ले गयो नींद हमारी | पोछ ले गयो नींद हमारी | ||
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कभी जमूरा कभी मदारी | कभी जमूरा कभी मदारी | ||
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इसको कहते हैं व्यापारी | इसको कहते हैं व्यापारी | ||
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रंग गई मन की अंगिया-चूनर | रंग गई मन की अंगिया-चूनर | ||
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देह ने जब मारी पिचकारी | देह ने जब मारी पिचकारी | ||
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अपना उल्लू सीधा हो बस | अपना उल्लू सीधा हो बस | ||
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कैसा रिश्ता कैसी यारी | कैसा रिश्ता कैसी यारी | ||
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आप नशे पर न्यौछावर हो | आप नशे पर न्यौछावर हो | ||
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मैं अब जाऊँ किस पर वारी | मैं अब जाऊँ किस पर वारी | ||
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बिकते बिकते बिकते बिकते | बिकते बिकते बिकते बिकते | ||
− | + | रूह हो गई है सरकारी | |
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अब जब टूट गई ज़ंजीरें | अब जब टूट गई ज़ंजीरें | ||
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क्या तुम जीते क्या मैं हारी | क्या तुम जीते क्या मैं हारी | ||
− | + | भूख हिक़ारत और ग़रीबी | |
− | भूख | + | किसको कहते हैं ख़ुद्दारी? |
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− | किसको कहते हैं | + | |
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दुनिया की सुंदरतम् कविता | दुनिया की सुंदरतम् कविता | ||
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सोंधी रोटी, दाल बघारी | सोंधी रोटी, दाल बघारी | ||
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18:16, 18 जून 2020 के समय का अवतरण
आयो घोष बड़ो व्यापारी
पोछ ले गयो नींद हमारी
कभी जमूरा कभी मदारी
इसको कहते हैं व्यापारी
रंग गई मन की अंगिया-चूनर
देह ने जब मारी पिचकारी
अपना उल्लू सीधा हो बस
कैसा रिश्ता कैसी यारी
आप नशे पर न्यौछावर हो
मैं अब जाऊँ किस पर वारी
बिकते बिकते बिकते बिकते
रूह हो गई है सरकारी
अब जब टूट गई ज़ंजीरें
क्या तुम जीते क्या मैं हारी
भूख हिक़ारत और ग़रीबी
किसको कहते हैं ख़ुद्दारी?
दुनिया की सुंदरतम् कविता
सोंधी रोटी, दाल बघारी