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"जनसंघर्ष / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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बिसात बिछी है
 
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गोटियाँ नाच नहीं रही हैं
 
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बादल घुमड़ रहे हैं
 
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बरसात हो नहीं रही है
 
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नदी के तेवर समझ नहीं आते
 
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धार सागर से उलटी भाग रही है
 
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केनवास बिछा पड़ा है
 
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रंगों की प्यालियों में
 
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तडक़ रही है
 
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तस्वीरों की प्यास
 
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जीभ पर टिकी कविता
 
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सरक जाती है गले में
 
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जन तैयार हो रहा है
 
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फिर एक संघर्ष के लिए
 
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18:27, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

बिसात बिछी है
गोटियाँ नाच नहीं रही हैं
बादल घुमड़ रहे हैं
बरसात हो नहीं रही है
नदी के तेवर समझ नहीं आते
धार सागर से उलटी भाग रही है

केनवास बिछा पड़ा है
रंगों की प्यालियों में
तडक़ रही है
तस्वीरों की प्यास

जीभ पर टिकी कविता
सरक जाती है गले में
जन तैयार हो रहा है
फिर एक संघर्ष के लिए