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− | अडिग-अविचल सर हिमाचल | + | अडिग-अविचल सर हिमाचल, |
− | हिन्द सिंधु जिसके पदतल | + | हिन्द सिंधु जिसके पदतल, |
नर्मदा, कृष्णा, त्रिवेणी | नर्मदा, कृष्णा, त्रिवेणी | ||
− | तापती, गोदावरी | + | तापती, गोदावरी जल। |
कौन है संसाधनों से | कौन है संसाधनों से | ||
धनी जग में शेष ऐसा ? | धनी जग में शेष ऐसा ? | ||
− | सखे ! भारत देश | + | सखे! भारत देश जैसा।। |
− | ज्ञान चारो वेद जिसके | + | ज्ञान चारो वेद जिसके, |
− | और स्वर है उपनिषद से | + | और स्वर है उपनिषद से, |
गुरुवाणी और अजानें | गुरुवाणी और अजानें | ||
− | कर्णप्रिय मीठे शहद से | + | कर्णप्रिय मीठे शहद से, |
ज्ञान गंगा से सुशोभित | ज्ञान गंगा से सुशोभित | ||
कौन है उन्मेष ऐसा ? | कौन है उन्मेष ऐसा ? | ||
− | सखे ! भारत देश | + | सखे! भारत देश जैसा।। |
− | प्रीत, रीति है जहाँ की | + | प्रीत, रीति है जहाँ की, |
− | विविधता पर एक बंधन | + | विविधता पर एक बंधन, |
वीर माटी को जहाँ पर | वीर माटी को जहाँ पर | ||
− | मानते हैं शीश-चंदन | + | मानते हैं शीश-चंदन, |
सकल जग में तुम बताओ | सकल जग में तुम बताओ | ||
और कोई देश ऐसा ? | और कोई देश ऐसा ? | ||
− | सखे ! भारत देश | + | सखे! भारत देश जैसा।। |
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01:29, 28 मार्च 2017 के समय का अवतरण
अडिग-अविचल सर हिमाचल,
हिन्द सिंधु जिसके पदतल,
नर्मदा, कृष्णा, त्रिवेणी
तापती, गोदावरी जल।
कौन है संसाधनों से
धनी जग में शेष ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।
ज्ञान चारो वेद जिसके,
और स्वर है उपनिषद से,
गुरुवाणी और अजानें
कर्णप्रिय मीठे शहद से,
ज्ञान गंगा से सुशोभित
कौन है उन्मेष ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।
प्रीत, रीति है जहाँ की,
विविधता पर एक बंधन,
वीर माटी को जहाँ पर
मानते हैं शीश-चंदन,
सकल जग में तुम बताओ
और कोई देश ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।