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सखे! भारत देश जैसा / सोना श्री
Kavita Kosh से
अडिग-अविचल सर हिमाचल,
हिन्द सिंधु जिसके पदतल,
नर्मदा, कृष्णा, त्रिवेणी
तापती, गोदावरी जल।
कौन है संसाधनों से
धनी जग में शेष ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।
ज्ञान चारो वेद जिसके,
और स्वर है उपनिषद से,
गुरुवाणी और अजानें
कर्णप्रिय मीठे शहद से,
ज्ञान गंगा से सुशोभित
कौन है उन्मेष ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।
प्रीत, रीति है जहाँ की,
विविधता पर एक बंधन,
वीर माटी को जहाँ पर
मानते हैं शीश-चंदन,
सकल जग में तुम बताओ
और कोई देश ऐसा ?
सखे! भारत देश जैसा।।