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"हाहाकार / नवीन ठाकुर 'संधि'" के अवतरणों में अंतर

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दौड़तें एैलोॅ, पकड़लकोॅ दामन,
+
सांझै रोॅ छै है गति,
हँसते हुवें पैलकोॅ माय लेॅ भोजन।
+
बिहानेॅ की होतै छति?
मनों में गनै छेलै पलकोॅ में खुशी
+
है ते,ॅ समय बतैतों।
दामन सें लोॅर पोछलकोॅ झुकी।
+
साजी के सम्हरी केॅ बैठलोॅ,
+
दुन्हूँ ने केकरोॅ लाज नै करलकोॅ।
+
दुन्हूँ के मिललोॅ आपनोॅ-आपनोॅ बरण,
+
दौड़तें एैलोॅ, पकड़लकोॅ दामन।
+
  
प्यार, ममता रोॅ माय अवतार,
+
मरी गेलै मकई-मडुआ
हसतै छै माय नें बेटा रोॅ कपार।
+
परै नै छै पानी परूआ
एकें दोसरा-दोसरा केॅ देखै छै,
+
भूखें तड़पै छै बूढ़ोॅ बुतरूवा,
मनें-मनें कुछू सोचै-सोचै छै।
+
जालेॅ-मालेॅ खोजै छै लरूवा।
पुतों रो माथोॅ करलकै चुम्बन,
+
भोगलेॅ छै पुरखा पति,
दौड़तें एैलोॅ,पकड़लकोॅ दामन।
+
है तेॅ बूढ़े-पुराने बतैतों।
 +
सांझै रोॅ छै है गति।
  
छोड़ोॅ आबेॅ जा नुनू
+
आभरको मारा पौर बुझैतौं,
नै-नै करै छै बेटा चुन्नू।
+
छन-छन के भूखें पेट जलैतौं।
बाप एैलोॅ बेटा मांगै पानी,
+
भूखें जैतेॅ सब्भें दिल्ली बंगाल,
देखोॅ आबी रहलोॅ छौं तोरोॅ नानी।
+
अन्नोॅ बिना सब्भेॅ कंगाल।
दौड़ी के करलकोॅ ‘‘संधि’’ नमन!
+
कहै छै ‘‘संधि’’ जमीनों में खटोॅ
दौड़तें एैलोॅ,पकड़लकोॅ दामन।
+
कि बिगड़लौं मति।
 
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15:57, 27 मई 2017 के समय का अवतरण

सांझै रोॅ छै है गति,
बिहानेॅ की होतै छति?
है ते,ॅ समय बतैतों।

मरी गेलै मकई-मडुआ
परै नै छै पानी परूआ
भूखें तड़पै छै बूढ़ोॅ बुतरूवा,
जालेॅ-मालेॅ खोजै छै लरूवा।
भोगलेॅ छै पुरखा पति,
है तेॅ बूढ़े-पुराने बतैतों।
सांझै रोॅ छै है गति।

आभरको मारा पौर बुझैतौं,
छन-छन के भूखें पेट जलैतौं।
भूखें जैतेॅ सब्भें दिल्ली बंगाल,
अन्नोॅ बिना सब्भेॅ कंगाल।
कहै छै ‘‘संधि’’ जमीनों में खटोॅ
कि बिगड़लौं मति।