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"रिमझिम-रिमझिम मेहा बरसे / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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07:30, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
रिमझिम-रिमझिम मेहा बरसे, काळा बादळ छाया रे
पिया सूं मलबां गांव चली, म्हारे पग में पड ग्या छाला रे
रिमझिम...
भरी ज्वानी म्हांने छोड गया क्यूं, जोबन का रखवाला रे
सोलह बरस की रही कुंवारी, अब तो कर मुकलावां रे
रिमझिम...
घणी र दूर सूं आई सजनवां, थांसू मिलवा रातां रे
हाथ पकड म्हांने निकां बिठाया, कान में कर गया बातां रे
रिमझिम...