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| − | जिंदगी अभिशाप भी, वरदान भी | + | <poem> |
| − | जिंदगी दुख में पला अरमान भी | + | जिंदगी अभिशाप भी, वरदान भी |
| − | क़र्ज़ | + | जिंदगी दुख में पला अरमान भी |
| − | जिंदगी है मौत पर अहसान भी | + | क़र्ज़ साँसों का चुकाती जा रही |
| − | वे जिन्हें सर पर उठाया वक्त ने | + | जिंदगी है मौत पर अहसान भी |
| − | भावना की अनसुनी आवाज थे | + | |
| − | बादलों में घर बसाने के लिए | + | वे जिन्हें सर पर उठाया वक्त ने |
| − | चंद तिनके ले उडे परवाज थे | + | भावना की अनसुनी आवाज थे |
| + | बादलों में घर बसाने के लिए | ||
| + | चंद तिनके ले उडे परवाज थे | ||
| + | दब गये इतिहास के पन्नों तले | ||
| + | तितलियों के पंख, नन्ही जान भी | ||
| − | + | कौन करता याद अब उस दौर को | |
| − | + | जब गरीबी भी कटी आराम से | |
| + | गर्दिशों की मार को सहते हुए | ||
| + | लोग रिश्ता जोड बैठे राम से | ||
| + | राजसुख से प्रिय जिन्हें वनवास था | ||
| + | किस तरह के थे यहाँ इन्सान भी। | ||
| − | + | आज सब कुछ है मगर हासिल नहीं | |
| − | + | हर थकन के बाद मीठी नींद अब | |
| − | + | हर कदम पर बोलियों की बेड़ियाँ | |
| − | + | ज़िन्दगी घुड़दौड़ की मानिन्द अब | |
| − | + | आँख में आँसू नहीं काजल नहीं | |
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| − | आज सब कुछ है मगर हासिल नहीं | + | |
| − | हर थकन के बाद मीठी नींद अब | + | |
| − | हर कदम पर बोलियों की | + | |
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| − | आँख में आँसू नहीं काजल नहीं | + | |
होठ पर दिखती न वह मुस्कान भी। | होठ पर दिखती न वह मुस्कान भी। | ||
09:44, 17 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
जिंदगी अभिशाप भी, वरदान भी
जिंदगी दुख में पला अरमान भी
क़र्ज़ साँसों का चुकाती जा रही
जिंदगी है मौत पर अहसान भी
वे जिन्हें सर पर उठाया वक्त ने
भावना की अनसुनी आवाज थे
बादलों में घर बसाने के लिए
चंद तिनके ले उडे परवाज थे
दब गये इतिहास के पन्नों तले
तितलियों के पंख, नन्ही जान भी
कौन करता याद अब उस दौर को
जब गरीबी भी कटी आराम से
गर्दिशों की मार को सहते हुए
लोग रिश्ता जोड बैठे राम से
राजसुख से प्रिय जिन्हें वनवास था
किस तरह के थे यहाँ इन्सान भी।
आज सब कुछ है मगर हासिल नहीं
हर थकन के बाद मीठी नींद अब
हर कदम पर बोलियों की बेड़ियाँ
ज़िन्दगी घुड़दौड़ की मानिन्द अब
आँख में आँसू नहीं काजल नहीं
होठ पर दिखती न वह मुस्कान भी।