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"तुम / नाज़िम हिक़मत" के अवतरणों में अंतर

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तुम मेरी ग़ुलामी हो और हो मेरी आज़ादी
 
तुम मेरी ग़ुलामी हो और हो मेरी आज़ादी
 
शुरू गर्मी की रात में मेरा जला हुआ गोश्त हो
 
शुरू गर्मी की रात में मेरा जला हुआ गोश्त हो
मेरे देश हो तुम।
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मेरे देश हो तुम ।
  
बादाम से हरी आँखों में  
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हरे बादाम सी हरी आँखों में  
 
रेशमी हरापन हो
 
रेशमी हरापन हो
 
तुम विशाल हो,  
 
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ख़ूबसूरत हो, विजयी हो।
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ख़ूबसूरत हो, विजयी हो ।
 
तुम मेरा दुख हो,  
 
तुम मेरा दुख हो,  
 
जिसे अभी महसूस नहीं किया था मैंने
 
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जिसे महसूस कर रहा हूँ मैं  
 
जिसे महसूस कर रहा हूँ मैं  
ज़्यादा से ज़्यादा।
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ज़्यादा से ज़्यादा ।
  
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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19:34, 15 मई 2020 के समय का अवतरण

तुम मेरी ग़ुलामी हो और हो मेरी आज़ादी
शुरू गर्मी की रात में मेरा जला हुआ गोश्त हो
मेरे देश हो तुम ।

हरे बादाम सी हरी आँखों में
रेशमी हरापन हो
तुम विशाल हो,
ख़ूबसूरत हो, विजयी हो ।
तुम मेरा दुख हो,
जिसे अभी महसूस नहीं किया था मैंने
जिसे महसूस कर रहा हूँ मैं
ज़्यादा से ज़्यादा ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय