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"चान्द-2 / वन्दना टेटे" के अवतरणों में अंतर
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इस खेल में कौन माहिर है | इस खेल में कौन माहिर है | ||
और कौन अनाड़ी | और कौन अनाड़ी | ||
मुझे असमंजस में देख | मुझे असमंजस में देख | ||
− | मुस्कुरा रहा है | + | मुस्कुरा रहा है चाँद । |
− | मैंने | + | मैंने सोचाबढ़िया, |
− | + | खरगोश, बन्दर ने | |
कोशिशें तो बहुतेरी की होंगी | कोशिशें तो बहुतेरी की होंगी | ||
कि आसमान से निकाल | कि आसमान से निकाल |
15:25, 13 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
पूनम का चाँद
आज अपनी रौ में है ।
देखो तो, भला !
कितनी कलाएँ जानता है
बादलों से खेलता है वह
या बादल उससे खेलते हैं
इस खेल में कौन माहिर है
और कौन अनाड़ी
मुझे असमंजस में देख
मुस्कुरा रहा है चाँद ।
मैंने सोचाबढ़िया,
खरगोश, बन्दर ने
कोशिशें तो बहुतेरी की होंगी
कि आसमान से निकाल
ले आएँ उसे बच्चे की नरम हथेलियों पर
या फिर उतर जाए ग़रीब की थाली में
या कि टपक ही पड़ें
उम्मीद से भरी भीगी आँखों में
ताकि मुस्कुरा उठे पपडियाएँ ओंठ
और हो जाए तसल्ली
मरोड़ती आँतों को ।