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"हवाएँ चैत की / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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बह चुकी बहकी हवाएँ चैत की
 
बह चुकी बहकी हवाएँ चैत की
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:कोठरी में लौ बढ़ा कर दीप की
 
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गिन रहा होगा महाजन सेंत की।
 
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गुरदासपुर, अमृतसर (बस में), 23 अप्रैल, 1951

19:46, 10 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

बह चुकी बहकी हवाएँ चैत की
कट गईं पूलें हमारे खेत की
कोठरी में लौ बढ़ा कर दीप की
गिन रहा होगा महाजन सेंत की।

गुरदासपुर, अमृतसर (बस में), 23 अप्रैल, 1951