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सफ़र / मरीना स्विताएवा
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15:18, 23 नवम्बर 2008
<Poem>
ख़ानाबदोशों का शुरू हो गया सफ़र
कब्रों
क़ब्रों
की दुनिया में
रात की ज़मीन पर
टहल रहे हैं पेड़,
अनिल जनविजय
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