Last modified on 5 मार्च 2008, at 02:28

"जाने से पहले / जयप्रकाश मानस" के अवतरणों में अंतर

 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
कवि: [[जयप्रकाश मानस]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:जयप्रकाश मानस]]
+
|रचनाकार=जयप्रकाश मानस
 
+
|संग्रह=होना ही चाहिए आंगन / जयप्रकाश मानस
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
}}
  
 
डेरा उसाल अनदेखे ठिकाने के लिए  
 
डेरा उसाल अनदेखे ठिकाने के लिए  
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
 
समुद्री छाँव में घन-सघन वृक्षों की  
 
समुद्री छाँव में घन-सघन वृक्षों की  
  
सुस्ता रहे थके माँदे अजनबी कुछ लोग  
+
सुस्ता रहे थके मांदे अजनबी कुछ लोग  
  
 
कुछ मीठी नींद में खर्राटे भर रहे  
 
कुछ मीठी नींद में खर्राटे भर रहे  
पंक्ति 43: पंक्ति 43:
 
इतनी सारी चीज़ें छोड़ जानी है  
 
इतनी सारी चीज़ें छोड़ जानी है  
  
कुछ ज्यादा ही तादाद में  
+
कुछ ज़्यादा ही तादाद में  
  
 
जाने से पहले
 
जाने से पहले

02:28, 5 मार्च 2008 के समय का अवतरण

डेरा उसाल अनदेखे ठिकाने के लिए

जाने से पहले समेटना है

ठिन ठिनिन ठिन घंटियों के बोल पर

झूमते गाते पेड़

लहलहाते पेड़

मरकत द्वीप-जैसे डोंगरी के

आदिवासी पेड़


समुद्री छाँव में घन-सघन वृक्षों की

सुस्ता रहे थके मांदे अजनबी कुछ लोग

कुछ मीठी नींद में खर्राटे भर रहे

बह रहे सपने अलस पलकों में

कि उसमें जुड़ रहे कुछ लोग


रोचक लोग,

रोचक बातचीत,

जनकथाएँ

रोचक आस्था-विश्वास

इतनी सारी चीज़ें छोड़ जानी है

कुछ ज़्यादा ही तादाद में

जाने से पहले