(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जहीर कुरैशी |संग्रह=चांदनी का दु:ख }} Category:ग़ज़ल <po...) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=जहीर कुरैशी | |रचनाकार=जहीर कुरैशी | ||
− | |संग्रह=चांदनी का दु:ख | + | |संग्रह=चांदनी का दु:ख / जहीर कुरैशी |
}} | }} | ||
[[Category:ग़ज़ल]] | [[Category:ग़ज़ल]] | ||
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
बन्द कमरे में सभ्य लोगों के | बन्द कमरे में सभ्य लोगों के | ||
नंगे पन को टटोलती है हवा | नंगे पन को टटोलती है हवा | ||
− | </poem | + | </poem> |
19:18, 4 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
बन्द पुस्तक को खोलती है हवा
बात करती है बोलती है हवा
जो भी उड़ने की बात करता है
उसके पंखों को तोलती है हवा
आदमी, पेड़ ,पशु ,परिन्दों में
साँस-संगीत घोलती है हवा
कौन है जो हवा को बाँध सके
इक चुनौती-सी डोलती है हवा
बन्द कमरे में सभ्य लोगों के
नंगे पन को टटोलती है हवा