भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आरती कीजै सरस्वती की / आरती" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKBhaktiKavya |रचनाकार= }} आरती कीजै सरस्वती की,<BR> जननि विद्या बुद्धि भ...) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKDharmikRachna}} |
− | + | {{KKCatArti}} | |
− | }} | + | <poem> |
+ | आरती कीजै सरस्वती की, | ||
+ | जननि विद्या बुद्धि भक्ति की। आरती... | ||
− | + | जाकी कृपा कुमति मिट जाए। | |
− | + | सुमिरण करत सुमति गति आये, | |
+ | शुक सनकादिक जासु गुण गाये। | ||
+ | वाणि रूप अनादि शक्ति की॥ आरती... | ||
− | + | नाम जपत भ्रम छूट दिये के। | |
− | + | दिव्य दृष्टि शिशु उध हिय के। | |
− | + | मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के। | |
− | + | उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की। आरती... | |
− | + | रचित जास बल वेद पुराणा। | |
− | + | जेते ग्रन्थ रचित जगनाना। | |
− | + | तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना। | |
− | + | जो आधार कवि यति सती की॥ आरती.. | |
− | + | ||
− | रचित जास बल वेद पुराणा। | + | |
− | जेते ग्रन्थ रचित जगनाना। | + | |
− | तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना। | + | |
− | जो आधार कवि यति सती की॥ आरती.. | + | |
सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥ | सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥ | ||
+ | </poem> |
12:22, 30 मई 2014 के समय का अवतरण
आरती कीजै सरस्वती की,
जननि विद्या बुद्धि भक्ति की। आरती...
जाकी कृपा कुमति मिट जाए।
सुमिरण करत सुमति गति आये,
शुक सनकादिक जासु गुण गाये।
वाणि रूप अनादि शक्ति की॥ आरती...
नाम जपत भ्रम छूट दिये के।
दिव्य दृष्टि शिशु उध हिय के।
मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के।
उड़ाई सुरभि युग-युग, कीर्ति की। आरती...
रचित जास बल वेद पुराणा।
जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।
तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना।
जो आधार कवि यति सती की॥ आरती..
सरस्वती की वीणा-वाणी कला जननि की॥