भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तरूण से / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
तरूण,
 
तरूण,
 
 
तुम्‍हारी शक्ति अतुल है
 
तुम्‍हारी शक्ति अतुल है
 
 
जहाँ कर्म में वह बदली है
 
जहाँ कर्म में वह बदली है
 
 
वहॉं राष्‍ट्र का नया रुप
 
वहॉं राष्‍ट्र का नया रुप
 
 
सम्मुख आया है
 
सम्मुख आया है
 
 
वैयक्तिक भी कार्य तुम्‍हारा
 
वैयक्तिक भी कार्य तुम्‍हारा
 
 
सामूहिक है
 
सामूहिक है
  
 
और
 
और
 
 
जहाँ हो
 
जहाँ हो
 
 
वहीं तुम्‍हारी जीवनधारा
 
वहीं तुम्‍हारी जीवनधारा
 
 
जड़ चेतन को
 
जड़ चेतन को
 
 
आप्‍यायित, आप्‍लावित करती है
 
आप्‍यायित, आप्‍लावित करती है
 
 
कोई देश
 
कोई देश
 
 
तुम्‍हारी साँसों से जीवित है
 
तुम्‍हारी साँसों से जीवित है
 
 
और तुम्‍हारी आँखों से देखा करता है
 
और तुम्‍हारी आँखों से देखा करता है
 
 
और तुम्‍हारे चलने पर चलता रहता है
 
और तुम्‍हारे चलने पर चलता रहता है
 
  
 
मनोरंजनों में है इतनी शक्ति तुम्‍हारे
 
मनोरंजनों में है इतनी शक्ति तुम्‍हारे
 
 
जिससे कोइ राष्‍ट्र
 
जिससे कोइ राष्‍ट्र
 
 
बना बिगड़ा करता है
 
बना बिगड़ा करता है
 
 
सदा सजग व्‍यवहार तुम्‍हारा हो
 
सदा सजग व्‍यवहार तुम्‍हारा हो
 
 
जिससे कल्‍याण फलित हो।
 
जिससे कल्‍याण फलित हो।

13:55, 17 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

तरूण,
तुम्‍हारी शक्ति अतुल है
जहाँ कर्म में वह बदली है
वहॉं राष्‍ट्र का नया रुप
सम्मुख आया है
वैयक्तिक भी कार्य तुम्‍हारा
सामूहिक है

और
जहाँ हो
वहीं तुम्‍हारी जीवनधारा
जड़ चेतन को
आप्‍यायित, आप्‍लावित करती है
कोई देश
तुम्‍हारी साँसों से जीवित है
और तुम्‍हारी आँखों से देखा करता है
और तुम्‍हारे चलने पर चलता रहता है

मनोरंजनों में है इतनी शक्ति तुम्‍हारे
जिससे कोइ राष्‍ट्र
बना बिगड़ा करता है
सदा सजग व्‍यवहार तुम्‍हारा हो
जिससे कल्‍याण फलित हो।