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"प्रेम: एक परिभाषा / प्रभाकर माचवे" के अवतरणों में अंतर

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प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी ?<br>
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प्रेम वो प्रपात<br>
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प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी?
गीत दिवारात<br>
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::प्रेम वो प्रपात
गा रहा अशान्त<br>
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::गीत दिवारात
प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।<br>
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::गा रहा अशान्त
प्रेम वह प्रसन्न<br>
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प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।
खेत में निरन्न<br>
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::प्रेम वह प्रसन्न
दुर्भिक्षावसन्न<br>
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::खेत में निरन्न
सृजक कृषक खडा दीन अन्नाधिकारी ।<br><br>
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::दुर्भिक्षावसन्न
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सृजक कृषक खड़ा दीन अन्नाधिकारी ।
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20:11, 4 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी?
प्रेम वो प्रपात
गीत दिवारात
गा रहा अशान्त
प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।
प्रेम वह प्रसन्न
खेत में निरन्न
दुर्भिक्षावसन्न
सृजक कृषक खड़ा दीन अन्नाधिकारी ।