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‘साड्डा चिड़ियाँ दा चम्बा...’ | ‘साड्डा चिड़ियाँ दा चम्बा...’ | ||
किसी दिन चबा गए | किसी दिन चबा गए | ||
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तिनके जोड़ने सिखाए थे तुमने] | तिनके जोड़ने सिखाए थे तुमने] | ||
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− | लंबी उडा़न | + | लंबी उडा़न... |
इधर उजड़ गया घोंसला, | इधर उजड़ गया घोंसला, | ||
जो किसी नींव गडे़ घर की | जो किसी नींव गडे़ घर की | ||
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जोड़ने लगा तिनके | जोड़ने लगा तिनके | ||
जुड़ने लगा नीड़, | जुड़ने लगा नीड़, | ||
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− | हवा में | + | हवा में... |
− | लहरों में | + | लहरों में... |
एक दिन | एक दिन | ||
शून्य में लय हो गया | शून्य में लय हो गया | ||
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उजड़ गया | उजड़ गया | ||
डूब गया, | डूब गया, | ||
− | + | :::तिनका-तिनका था | |
− | + | :::छितरा गया, | |
− | + | :::बस!! | |
उड़ जाना है अब। | उड़ जाना है अब। | ||
− | चिड़िया! चल उड़ | + | चिड़िया! चल उड़... |
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09:30, 6 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण
माँ !
‘साड्डा चिड़ियाँ दा चम्बा...’
किसी दिन चबा गए
श्वान, मार्जार और हिंस्र भूखे पशु
[एक-एक कर
पाँखें पसारी थीं न जिस दिन
उससे भी पहले
तिनके जोड़ने सिखाए थे तुमने]
फिर
एक नीड़...
लंबी उडा़न...
इधर उजड़ गया घोंसला,
जो किसी नींव गडे़ घर की
छत पर बनाया था,
तिनके जोड़ने का अभ्यासी मन
नदी किनारे, डालें पसारे
किसी वृक्ष पर
जोड़ने लगा तिनके
जुड़ने लगा नीड़,
आकाश में...
हवा में...
लहरों में...
एक दिन
शून्य में लय हो गया
उड़ गया
उजड़ गया
डूब गया,
तिनका-तिनका था
छितरा गया,
बस!!
उड़ जाना है अब।
चिड़िया! चल उड़...