"छिंगुनिया के छल्ला / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
{{KKLokGeetBhaashaSoochi | {{KKLokGeetBhaashaSoochi | ||
|भाषा=भोजपुरी | |भाषा=भोजपुरी | ||
− | }} | + | }}{{KKCatBhojpuriRachna}} |
− | + | <poem> | |
छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे , | छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे , | ||
नथुनियाँ, न झुलनी, न मुँदरी जुड़ी , | नथुनियाँ, न झुलनी, न मुँदरी जुड़ी , | ||
पंक्ति 46: | पंक्ति 46: | ||
दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे ! | दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे ! | ||
छिंगुनियाके छल्ला पे ...! | छिंगुनियाके छल्ला पे ...! | ||
− | |||
</poem> | </poem> |
21:47, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
छिंगुनिया के छल्ला पे तोहि का नचइबे ,
नथुनियाँ, न झुलनी, न मुँदरी जुड़ी ,
आयो लै के कनैठी अंगुरिया को छल्ला !
इहै छोट छल्ला पे ढपली बजइबे !
कितै दिन नचइबे ,गबइबे ,खिजइबे
कसर सब निकार लेई ,फिन मोर लल्ला
कबहुँ गोरिया तोर पल्ला न छोड़ब ,
चिपक रहिबे बनिके तोरा पुछल्ला !
करइ ले अपुन मनमानी कुछू दिन
उहै छोट लल्ला तुही का नचइबे !
भये साँझ आवै दुहू हाथ खाली
जिलेबी के दोना न चाटन के पत्ता ,
मेला में सैकल से जावत इकल्ला ,
सनीमा के नामै दिखावे सिंगट्टा !
हमहूँ चली जाब देउर के संगै
उहै ऊँच चक्कर पे झूला झुलइबे !
काहे मुँहै तू लगावत सबन का
लगावत हैं चक्कर ऊ लरिका निठल्ला !
उहाँ गाँव माँ घूँघटा काढ रहितिउ ,
इहाँ तू दिखावत सबै मूड़ खुल्ला !
न केहू का हम ई घरै माँ घुसै देब ,
चपड़-चूँ करे तौन मइके पठइबे !
लरिकन को किरकट दुआरे मचत ,
मोर मुँगरी का रोजै बनावत है बल्ला ,
इहाँ देउरन की न कौनो कमी
मोय भौजी बुलावत ई सारा मोहल्ला !
छप्पन छूरी इन छुकरियन में छुट्टा
तुहै छोड़, कहि देत, मइके न जइबे !
मचावत है काहे से बेबात हल्ला ,
अगिल बेर तोहका चुनरिया बनइबे ,
पड़ी जौन लौंडे-लपाड़न के चक्कर
दुहू गोड़ तोड़ब घरै माँ बिठइबे !
छिंगुनियाके छल्ला पे ...!