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<div class='boxheader' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'>'''&nbsp;सप्ताह की कविता'''</div>
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&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''आयो घोष बड़ो व्यापारी<br>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[देवेन्द्र आर्य]]
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<pre style="overflow:auto;height:21em;">
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आयो घोष बड़ो व्यापारी
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पोछ ले गयो नींद हमारी
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कभी जमूरा कभी मदारी
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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
इसको कहते हैं व्यापारी
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
रंग गई मन की अंगिया-चूनर
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<div style="text-align: center;">
देह ने जब मारी पिचकारी
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
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</div>
  
अपना उल्लू सीधा हो बस
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
कैसा रिश्ता कैसी यारी
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
  
आप नशे पर न्यौछावर हो
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
मैं अब जाऊँ किस पर वारी
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
बिकते बिकते बिकते बिकते
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सबमें अपनेपन की माया
रुह हो गई है सरकारी
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अपने पन में जीवन आया
 
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अब जब टूट गई ज़ंजीरें
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क्या तुम जीते क्या मैं हारी
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भूख हिकारत और गरीबी
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किसको कहते हैं खुद्दारी?
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दुनिया की सुंदरतम् कविता
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सोंधी रोटी, दाल बघारी
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</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया