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"अमरनाथ साहिर" के अवतरणों में अंतर

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'''कुछ फुटकर शे’र'''
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{{KKGlobal}}
 
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{{KKParichay
होने को तो है अब भी वही हुस्न, वही इश्क़।
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|चित्र=
 
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|नाम=अमरनाथ साहिर
जो हर्फ़े-ग़लत होके मिटा नक़्शे-वफ़ा था॥
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|जन्मस्थान= 
पिन्हाँ नज़र से पर्द-ए-दिल में रहा वोह शोख़।
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|विविध=
क्या इम्तयाज़ हो मुझे हिज्रो-विसाल का॥
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|अंग्रेज़ीनाम=amaranath sahir saheer amaranaath
 
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|जीवनी=[[अमरनाथ साहिर / परिचय]]
 
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}}
ऐ परीरू! तेरे दीवाने का ईमाँ क्या है।
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* '''[[कुछ फुटकर शे’र / अमरनाथ साहिर]]'''
 
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इक निगाहे-ग़लत अन्दाज़ पै क़ुर्बां होना॥
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जुनूने इश्क़ में कब तन-बदन का होश रहता है।
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बढ़ा जब जोशे-सौदा हमने सर को दर्दे-सर जाना॥
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एक जज़्बा था अज़ल से गोशये-दिल में निहाँ।
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इश्क़ को इस हुस्न के बाज़ार ने रुसवा किया॥
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तमन्नाएं बर आई अपनी तर्केमुद्दआ होकर।
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हुआ दिल बेमतमन्ना अब, रहा मतलब से क्या मतलब॥
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देखकर आईना कहते हैं कि - "लासानी हूँ मैं"।
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आईना देता है उनकी लनतरानी का जवाब॥
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पा लिया आपको अब कोई तमन्ना न रही।
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बेतलब मुझको जो मिलना था मिला आपसे आप॥
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गुम कर दिया है आलमे-हस्ती में होश को।
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हर इक से पूछता हूँ कि ‘साहिर’ कहाँ है आज।
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दामाने-यार मरके भी छूटा न हाथ से।
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उट्ठे हैं ख़ाक होके सरे रहगुज़र से हम॥
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सदा-ए-वस्ल बामे-अर्श से आती है कानों में--।
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"मुहब्बत के मज़े इस दार पर चढ़कर निकलते हैं"||
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क़तरा दरिया है अगर अपनी हक़ीक़त जाने।
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खोये जाते हैं जो हम आपको पा जाते हैं॥
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कहाँ दैरो-हरम में जलवये-साकी़-ओ-मय बाक़ी?
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चलें मयख़ाने में और बैअ़ते-पीरेमुग़ाँ कर लें॥
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परेपरवाज़ उनका लायेंगे गर ला-मकाँ भी हो।
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तुम्हें हम ढूँढ़ लायेंगे कहीं भी हो, जहाँ भी हो॥
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हुस्न क्या हुस्न है जल्वा जिसे दरकार न हो।
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यूसफ़ी क्या है जो हंगाम-ए-बाज़ार न हो॥
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बेतमन्नाई ने बरहम रंगे-महफ़िल कर दिया।
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दिल की बज़्म-आराइयाँ थीं आरज़ू-ए-दिल के साथ॥
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12:35, 4 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण

अमरनाथ साहिर
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जन्म
निधन
उपनाम
जन्म स्थान
कुछ प्रमुख कृतियाँ
विविध
जीवन परिचय
अमरनाथ साहिर / परिचय
कविता कोश पता
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