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बहुत अकेले
या भीड भीड़ में
हमें चाह होती है
साथी की
अंधेरे अँधेरे में
या ज़िन्दगी की
ठोकर पर
याद करने का
न दुःख
बांटने बाँटने से
कम होता है
न सुख
यह तो
ढ़ंग ढंग है
मन को मनाने का
ज़िन्दगी
कभी धीमे
कभी तेजतेज़
स्वर में
गुनगुनाती रहती है
</Poem>
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