भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(9 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 178 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<div class='box' style="background-color:#DD5511;width:100%; align:center"><div class='boxtop'><div></div></div>
+
<div style="background:#eee; padding:10px">
<div class='boxheader' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'>'''&nbsp;सप्ताह की कविता'''</div>
+
<div style="background: transparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
<div id="kkHomePageSearchBoxDiv" class='boxcontent' style='background-color:#F5CCBB;border:1px solid #DD5511;'>
+
<!----BOX CONTENT STARTS------>
+
&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''सुबह-सवेरे आती चिड़िया <br>
+
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[श्याम सुन्दर अग्रवाल]]
+
<pre style="overflow:auto;height:21em;">
+
सुबह-सवेरे आती चिड़िया,
+
आकर मुझे जगाती चिड़िया ।
+
ऊपर बैठ मुंडेर पर,
+
चीं-चीं, चूँ-चूँ गाती चिड़िया ।
+
  
जाना है, नहीं स्कूल उसे
+
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
न ही दफ़्तर जाती चिड़िया ।
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
फिर भी सदा समय से आती,
+
आलस नहीं दिखाती चिड़िया ।
+
  
थोड़ा सा चुग्गा लेकर भी,
+
<div style="text-align: center;">
दिन भर पंख फैलाती चिड़िया ।
+
रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
इससे सेहत ठीक है रखती ,
+
</div>
नहीं दवाई खाती चिड़िया ।
+
  
छोटी-सी है फिर भी बच्चो,
+
<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
बातें कई सिखाती चिड़िया ।
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
रखो सदा ध्यान समय का,
+
अपरिचित पास आओ
सबको पाठ पढ़ाती चिड़िया
+
 
</pre>
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
<!----BOX CONTENT ENDS------>
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
 +
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
 +
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
 +
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
 +
 
 +
सबमें अपनेपन की माया
 +
अपने पन में जीवन आया
 +
</div>
 +
</div></div>

19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया