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"ढीठ चांदनी / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर

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19:12, 9 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

आज-कल तमाम रात
चांदनी जगाती है

मुँह पर दे-दे छींटे
अधखुले झरोखे से
अन्दर आ जाती है
दबे पाँव धोखे से

माथा छू
निंदिया उचटाती है
बाहर ले जाती है
घंटो बतियाती है

ठंडी-ठंडी छत पर
लिपट-लिपट जाती है
विह्वल मदमाती है
बावरिया बिना बात?

आजकल तमाम रात
चाँदनी जगाती है