Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
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शरद का सुंदर नीलाकाश | शरद का सुंदर नीलाकाश | ||
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निशा निखरी, था निर्मल हास | निशा निखरी, था निर्मल हास | ||
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बह रही छाया पथ में स्वच्छ | बह रही छाया पथ में स्वच्छ | ||
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सुधा सरिता लेती उच्छ्वास | सुधा सरिता लेती उच्छ्वास | ||
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पुलक कर लगी देखने धरा | पुलक कर लगी देखने धरा | ||
− | + | प्रकृति भी सकी न आँखें मूँद | |
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सु शीतलकारी शशि आया | सु शीतलकारी शशि आया | ||
− | + | सुधा की मनो बड़ी सी बूँद!</poem> | |
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15:38, 19 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
शरद का सुंदर नीलाकाश
निशा निखरी, था निर्मल हास
बह रही छाया पथ में स्वच्छ
सुधा सरिता लेती उच्छ्वास
पुलक कर लगी देखने धरा
प्रकृति भी सकी न आँखें मूँद
सु शीतलकारी शशि आया
सुधा की मनो बड़ी सी बूँद!