प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एन...) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल | |संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल | ||
}} | }} | ||
− | <poem>इन बेरंग दीवारों पर | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | इन बेरंग दीवारों पर | ||
रंग बिरंगे पोस्टर | रंग बिरंगे पोस्टर | ||
अख़बारों | अख़बारों | ||
पंक्ति 21: | पंक्ति 23: | ||
छिपा चमड़ी की मुलायम पर्त तले | छिपा चमड़ी की मुलायम पर्त तले | ||
खुरदरे अहसास | खुरदरे अहसास | ||
− | + | गया मैं | |
नगर की सड़कों से गुज़र उदास | नगर की सड़कों से गुज़र उदास | ||
10:15, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
इन बेरंग दीवारों पर
रंग बिरंगे पोस्टर
अख़बारों
समाचारों
इश्तिहारों में
छिपे झूठ
सोचा मैंने :
मेरी पूंजी है मेरे हाथ
चेहरे के आगे तान
हाथों का आसमान
हो बैठूंगा सुरक्षित
नई पतलून पहन
बन विज्ञापन का माडल
छिपा चमड़ी की मुलायम पर्त तले
खुरदरे अहसास
गया मैं
नगर की सड़कों से गुज़र उदास
चाय का प्याला मुझे पी गया
जूते ने पाठ पढ़ाया, खूब चलाया
और कमीज़ ने मुझे गिरवी रख दिया
इधर शाम ढले
नियोन झांकते इश्तिहार
इकाईयां बने मूर्ख अंक
तुम सच कहते हो
ऊँचे के तहखाने में
शून्य के जादू ने
रख दिये हैं गिरवी
अंकों के हाथ ।