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"बोलो न विक्रमार्क / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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<poem>कहां गया वो
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कहां गया वो
 
चील की जोगिया फलियों पर
 
चील की जोगिया फलियों पर
 
मचलता चलता था जो?
 
मचलता चलता था जो?
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गालों पर गिरती फुहार
 
गालों पर गिरती फुहार
 
रेन कोट ने ढक दी  
 
रेन कोट ने ढक दी  
बोलो न बिक्रमाअर्क !
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बोलो न विक्रमार्क !
क्यों चूक जाता है
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क्यों चुक जाता है
सिन्दूरी साअंझ का जादू
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सिन्दूरी सांझ का जादू
 
क्यों बच जाता है
 
क्यों बच जाता है
 
जलने  
 
जलने  

10:25, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

कहां गया वो
चील की जोगिया फलियों पर
मचलता चलता था जो?

कहां गया वो
फुहारों नहाई सिन्दूरी सांझ संग़
दीप-सा जलता था जो?
जाने क्या घटा
कि रास्तों पर उड़ते पत्ते
फिर से पेड़ों पर चढ़ने लगे
टहनियों पर उगने लगे

जाने क्या हुआ
कि उफनती शरारतें
मौन मछलियां बन
मथने लगी मन

जाने कब
गालों पर गिरती फुहार
रेन कोट ने ढक दी
बोलो न विक्रमार्क !
क्यों चुक जाता है
सिन्दूरी सांझ का जादू
क्यों बच जाता है
जलने
और जलकर चुकने का एहसास ?
क्यों चुभ जाता है सूरज
शूल-सा आँख में ?
और आंख पर हाथ रख
क्यों भटक जाते हैं हम
इन अनजान रास्तों की भूल-भुलैयों में ?