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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png]]</td>
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<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: '''पास रह के भी बोहत दूर हैं दोस्त<br>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[शकेब जलाली]]</td>
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</tr>
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
  
पास रह के भी बोहत दूर हैं दोस्त
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<div style="text-align: center;">
अपने हालात से मजबूर हैं दोस्त
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
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तर्क--उल्फत भी नहीं कर सकते
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साथ देने से भी माज़ूर हैं दोस्त
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
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अपरिचित पास आओ
  
गुफ्तगू के लिए उनवां भी नहीं
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
बात करने पे भी मजबूर हैं दोस्त
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
  
यह चिराग अपने लिए रहने दे
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सबमें अपनेपन की माया
तेरी रातें भी तो बे-नूर हैं दोस्त
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अपने पन में जीवन आया
 
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सभी पज़मुर्दा हैं महफ़िल में शकेब
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मैं परेशान हूँ, रंजूर हैं दोस्त
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</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया