Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
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− | प्रकृति बदलती | + | <poem> |
− | बदल रहे अणु, कण-कण देखो| | + | प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो, |
− | तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो | | + | बदल रहे अणु, कण-कण देखो| |
− | भाग्य वाद पर अड़े हुए हो| | + | तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो | |
− | + | भाग्य वाद पर अड़े हुए हो| | |
− | छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली, | + | |
− | जीवन में परिवर्तन लाओ | | + | छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली, |
− | परंपरा से ऊंचे उठ कर, | + | जीवन में परिवर्तन लाओ | |
− | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | + | परंपरा से ऊंचे उठ कर, |
− | + | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | |
− | जब तक घर मे धन संपति हो, | + | |
− | बने रहो प्रिय आज्ञाकारी | | + | जब तक घर मे धन संपति हो, |
− | पढो, लिखो, शादी करवा लो , | + | बने रहो प्रिय आज्ञाकारी | |
− | फिर मानो यह बात हमारी | | + | पढो, लिखो, शादी करवा लो , |
− | + | फिर मानो यह बात हमारी | | |
− | माता पिता से काट कनेक्शन, | + | |
− | अपना दड़बा अलग बसाओ | | + | माता पिता से काट कनेक्शन, |
− | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | + | अपना दड़बा अलग बसाओ | |
− | + | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | |
− | करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको, | + | |
− | पैसे की है सख़्त ज़रूरत | | + | करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको, |
− | अर्थ समस्या हल हो जाए, | + | पैसे की है सख़्त ज़रूरत | |
− | शीघ्र निकालो ऐसी सूरत | | + | अर्थ समस्या हल हो जाए, |
− | + | शीघ्र निकालो ऐसी सूरत | | |
− | हिन्दी के हिमायती बन कर, | + | |
− | संस्थाओं से नेह जोड़िये | | + | हिन्दी के हिमायती बन कर, |
− | किंतु आपसी बातचीत में, | + | संस्थाओं से नेह जोड़िये | |
− | अंग्रेजी की टांग तोड़िये | | + | किंतु आपसी बातचीत में, |
− | + | अंग्रेजी की टांग तोड़िये | | |
− | इसे प्रयोगवाद कहते हैं, | + | |
− | समझो गहराई में जाओ | | + | इसे प्रयोगवाद कहते हैं, |
− | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | + | समझो गहराई में जाओ | |
− | + | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | |
− | कवि बनने की इच्छा हो तो, | + | |
− | यह भी कला बहुत मामूली | | + | कवि बनने की इच्छा हो तो, |
− | नुस्खा बतलाता हूँ, लिख लो, | + | यह भी कला बहुत मामूली | |
− | कविता क्या है, गाजर मूली | | + | नुस्खा बतलाता हूँ, लिख लो, |
− | + | कविता क्या है, गाजर मूली | | |
− | कोश खोल कर रख लो आगे, | + | |
− | क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो| | + | कोश खोल कर रख लो आगे, |
− | उन शब्दों का जाल बिछा कर, | + | क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो| |
− | चाहो जैसी कविता बुन लो | | + | उन शब्दों का जाल बिछा कर, |
− | + | चाहो जैसी कविता बुन लो | | |
− | श्रोता जिसका अर्थ समझ लें, | + | |
− | वह तो तुकबंदी है भाई | | + | श्रोता जिसका अर्थ समझ लें, |
− | जिसे स्वयं कवि समझ न पाए, | + | वह तो तुकबंदी है भाई | |
− | वह कविता है सबसे हाई | | + | जिसे स्वयं कवि समझ न पाए, |
− | + | वह कविता है सबसे हाई | | |
− | इसी युक्ती से बनो महाकवि, | + | |
− | उसे "नई कविता" बतलाओ | | + | इसी युक्ती से बनो महाकवि, |
− | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | + | उसे "नई कविता" बतलाओ | |
− | + | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | |
− | चलते चलते मेन रोड पर, | + | |
− | फिल्मी गाने गा सकते हो | | + | चलते चलते मेन रोड पर, |
− | चौराहे पर खड़े खड़े तुम, | + | फिल्मी गाने गा सकते हो | |
− | चाट पकोड़ी खा सकते हो | | + | चौराहे पर खड़े खड़े तुम, |
− | + | चाट पकोड़ी खा सकते हो | | |
− | बड़े चलो उन्नति के पथ पर, | + | |
− | रोक सके किस का बल बूता? | + | बड़े चलो उन्नति के पथ पर, |
− | यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे, | + | रोक सके किस का बल बूता? |
− | भारत में बाटा का जूता | | + | यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे, |
− | + | भारत में बाटा का जूता | | |
− | नई सभ्यता, नई संस्कृति, | + | |
− | के नित चमत्कार दिखलाओ | | + | नई सभ्यता, नई संस्कृति, |
− | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | + | के नित चमत्कार दिखलाओ | |
− | + | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | | |
− | पिकनिक का जब मूड बने तो, | + | |
− | ताजमहल पर जा सकते हो | | + | पिकनिक का जब मूड बने तो, |
− | शरद-पूर्णिमा दिखलाने को, | + | ताजमहल पर जा सकते हो | |
− | 'उन्हें' साथ ले जा सकते हो | | + | शरद-पूर्णिमा दिखलाने को, |
− | + | 'उन्हें' साथ ले जा सकते हो | | |
− | वे देखें जिस समय चंद्रमा, | + | |
− | तब तुम निरखो सुघर चाँदनी | | + | वे देखें जिस समय चंद्रमा, |
− | फिर दोनों मिल कर के गाओ, | + | तब तुम निरखो सुघर चाँदनी | |
− | मधुर स्वरों में मधुर रागिनी | | + | फिर दोनों मिल कर के गाओ, |
− | ( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..) | + | मधुर स्वरों में मधुर रागिनी | |
− | + | ( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..) | |
− | आलू छोला, कोका-कोला, | + | |
− | 'उनका' भोग लगा कर पाओ | | + | आलू छोला, कोका-कोला, |
− | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ| | + | 'उनका' भोग लगा कर पाओ | |
− | + | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ| |
09:54, 27 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो|
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो |
भाग्य वाद पर अड़े हुए हो|
छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली,
जीवन में परिवर्तन लाओ |
परंपरा से ऊंचे उठ कर,
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
जब तक घर मे धन संपति हो,
बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |
पढो, लिखो, शादी करवा लो ,
फिर मानो यह बात हमारी |
माता पिता से काट कनेक्शन,
अपना दड़बा अलग बसाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको,
पैसे की है सख़्त ज़रूरत |
अर्थ समस्या हल हो जाए,
शीघ्र निकालो ऐसी सूरत |
हिन्दी के हिमायती बन कर,
संस्थाओं से नेह जोड़िये |
किंतु आपसी बातचीत में,
अंग्रेजी की टांग तोड़िये |
इसे प्रयोगवाद कहते हैं,
समझो गहराई में जाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
कवि बनने की इच्छा हो तो,
यह भी कला बहुत मामूली |
नुस्खा बतलाता हूँ, लिख लो,
कविता क्या है, गाजर मूली |
कोश खोल कर रख लो आगे,
क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो|
उन शब्दों का जाल बिछा कर,
चाहो जैसी कविता बुन लो |
श्रोता जिसका अर्थ समझ लें,
वह तो तुकबंदी है भाई |
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,
वह कविता है सबसे हाई |
इसी युक्ती से बनो महाकवि,
उसे "नई कविता" बतलाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
चलते चलते मेन रोड पर,
फिल्मी गाने गा सकते हो |
चौराहे पर खड़े खड़े तुम,
चाट पकोड़ी खा सकते हो |
बड़े चलो उन्नति के पथ पर,
रोक सके किस का बल बूता?
यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे,
भारत में बाटा का जूता |
नई सभ्यता, नई संस्कृति,
के नित चमत्कार दिखलाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
पिकनिक का जब मूड बने तो,
ताजमहल पर जा सकते हो |
शरद-पूर्णिमा दिखलाने को,
'उन्हें' साथ ले जा सकते हो |
वे देखें जिस समय चंद्रमा,
तब तुम निरखो सुघर चाँदनी |
फिर दोनों मिल कर के गाओ,
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |
( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..)
आलू छोला, कोका-कोला,
'उनका' भोग लगा कर पाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|