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"चित्र में माँ / नरेन्द्र मोहन" के अवतरणों में अंतर

 
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आज न माँ है न नदी  
 
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माँ याद आती है !
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16:05, 26 जून 2017 के समय का अवतरण

माँ के उरोज़ों के बीच
बहती-लहराती नदी में
डूबता-उतराता रहता था
बचपन में

आज मैं साठ की दहलीज पर हूँ
कई तीखी-गहरी, मदमाती-उफनती नदियाँ
देख चुका हूँ
कई नद, नाले, पहाड़
लाँघ चुका हूँ

आज न माँ है न नदी
चित्र है नदी का और
माँ याद आती है!