"बातें / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
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− | घृणित नाबदान–सी | + | बातें– |
− | + | घृणित नाबदान–सी | |
− | फलप्रसू, सुशोभन, फल–सी | + | बातें– |
− | + | फलप्रसू, सुशोभन, फल–सी | |
− | अमंगल विष–गर्भ शूल–सी | + | बातें– |
− | + | अमंगल विष–गर्भ शूल–सी | |
− | क्य करूँ मैं इनका? | + | बातें– |
− | मान लूँ कैसे इन्हें तिनका? | + | क्य करूँ मैं इनका? |
− | + | मान लूँ कैसे इन्हें तिनका? | |
− | यही अपनी | + | बातें– |
− | यही अपने साधन¸ यही अपने हथियार | + | यही अपनी पूंजी¸ यही अपने औज़ार |
− | + | यही अपने साधन¸ यही अपने हथियार | |
− | साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा | + | बातें– |
− | बना लूँ वाहन इन्हें घुटन का, घिन का? | + | साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा |
− | क्या करूँ मैं इनका? | + | बना लूँ वाहन इन्हें घुटन का, घिन का? |
− | + | क्या करूँ मैं इनका? | |
− | साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा | + | बातें– |
− | स्तुति करूँ रात की, जिक्र न करूँ दिन का? | + | साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा |
− | क्या करूँ मैं इनका?< | + | स्तुति करूँ रात की, जिक्र न करूँ दिन का? |
+ | क्या करूँ मैं इनका? | ||
+ | </poem> |
12:20, 25 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
बातें–
हँसी में धुली हुईं
सौजन्य चंदन में बसी हुई
बातें–
चितवन में घुली हुईं
व्यंग्य-बंधन में कसी हुईं
बातें–
उसाँस में झुलसीं
रोष की आँच में तली हुईं
बातें–
चुहल में हुलसीं
नेह–साँचे में ढली हुईं
बातें–
विष की फुहार–सी
बातें–
अमृत की धार–सी
बातें–
मौत की काली डोर–सी
बातें–
जीवन की दूधिया हिलोर–सी
बातें–
अचूक वरदान–सी
बातें–
घृणित नाबदान–सी
बातें–
फलप्रसू, सुशोभन, फल–सी
बातें–
अमंगल विष–गर्भ शूल–सी
बातें–
क्य करूँ मैं इनका?
मान लूँ कैसे इन्हें तिनका?
बातें–
यही अपनी पूंजी¸ यही अपने औज़ार
यही अपने साधन¸ यही अपने हथियार
बातें–
साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा
बना लूँ वाहन इन्हें घुटन का, घिन का?
क्या करूँ मैं इनका?
बातें–
साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा
स्तुति करूँ रात की, जिक्र न करूँ दिन का?
क्या करूँ मैं इनका?