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"ये दिन बहार के / जोश मलीहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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ये दिन बहार के अब के भी रास न आ सके
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कि ग़ुंचे खिल तो सके खिल के मुस्कुरा न सके
  
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मेरी तबाही दिल पर तो रहम खा न सकी
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ये दिन बहार के अब के भी रास न आ सके <br>
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जाने आह! कि उन आँसूओं पे क्या गुज़री
कि ग़ुंचे खिल तो सके खिल के मुस्कुरा न सके <br><br>
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जो दिल से आँख तक आये मिश्गाँ तक आ न सके  
  
मेरी तबाही दिल पर तो रहम खा न सकी <br>
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रहें ख़ुलूस-ए-मुहब्बत के हादसात जहाँ
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मुझे तो क्या मेरे नक़्श-ए-क़दम मिटा न सके
  
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करेंगे मर के बक़ा-ए-दवाम क्या हासिल
जो दिल से आँख तक आये मिश्गाँ तक आ न सके <br><br>
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जो ज़िंदा रह के मुक़ाम-ए-हयात पा न सके  
  
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नया ज़माना बनाने चले थे दीवाने  
मुझे तो क्या मेरे नक़्श-ए-क़दम मिटा न सके<br><br>
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नई ज़मीं, नया आसमाँ बना न सके  
 
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नया ज़माना बनाने चले थे दीवाने <br>
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19:57, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

ये दिन बहार के अब के भी रास न आ सके
कि ग़ुंचे खिल तो सके खिल के मुस्कुरा न सके

मेरी तबाही दिल पर तो रहम खा न सकी
जो रोशनी में रहे रोशनी को पा न सके

न जाने आह! कि उन आँसूओं पे क्या गुज़री
जो दिल से आँख तक आये मिश्गाँ तक आ न सके

रहें ख़ुलूस-ए-मुहब्बत के हादसात जहाँ
मुझे तो क्या मेरे नक़्श-ए-क़दम मिटा न सके

करेंगे मर के बक़ा-ए-दवाम क्या हासिल
जो ज़िंदा रह के मुक़ाम-ए-हयात पा न सके

नया ज़माना बनाने चले थे दीवाने
नई ज़मीं, नया आसमाँ बना न सके