Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
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|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर' | |संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर' | ||
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गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ, | गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ, | ||
− | गोरस के काज लाज-बस कै बहाइबौ । | + | ::गोरस के काज लाज-बस कै बहाइबौ । |
कहैं रतनाकर रिझाइबो नवेलिनि कौं, | कहैं रतनाकर रिझाइबो नवेलिनि कौं, | ||
− | गाइबौ गवाइबौ औ नाचिबौ नचाइबौ ॥ | + | ::गाइबौ गवाइबौ औ नाचिबौ नचाइबौ ॥ |
कीबौं स्रमहार मनुहार कै बिबिध विधि, | कीबौं स्रमहार मनुहार कै बिबिध विधि, | ||
− | मोहिनी मृदुल मंजु बाँसुरी बजाइबौ । | + | ::मोहिनी मृदुल मंजु बाँसुरी बजाइबौ । |
ऊधौ सुख-संपति-समाज ब्रज-मंडल के, | ऊधौ सुख-संपति-समाज ब्रज-मंडल के, | ||
− | भूलैं हूँ न भूलै, भूलैं हमकौं भुलाइबौ ॥8॥ | + | ::भूलैं हूँ न भूलै, भूलैं हमकौं भुलाइबौ ॥8॥ |
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20:15, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ,
गोरस के काज लाज-बस कै बहाइबौ ।
कहैं रतनाकर रिझाइबो नवेलिनि कौं,
गाइबौ गवाइबौ औ नाचिबौ नचाइबौ ॥
कीबौं स्रमहार मनुहार कै बिबिध विधि,
मोहिनी मृदुल मंजु बाँसुरी बजाइबौ ।
ऊधौ सुख-संपति-समाज ब्रज-मंडल के,
भूलैं हूँ न भूलै, भूलैं हमकौं भुलाइबौ ॥8॥