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"नासमझ यह मोहन ठकुरी / मोहन ठकुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | '''मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : विर्ख खड़का डुवर्सेली </poem> | |
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10:22, 26 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
उसके अपने कभी अपने नही हुए
अधूरे सपनों को गले लगाकर
बैठा यह मोहन ठकुरी
गमले के कैकटस जैसा
न फूल सकता है, न फैल सकता है!
उसकी हँसी कृत्रिम है
अव्यक्त व्यथा-वेदनाओं में लिपटकर
बैठा यह मोहन ठकुरी
किसी के मन में माया बनकर रह नही सकता
किसी की आँखों में आँसू बनकर छलक नही सकता !
मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : विर्ख खड़का डुवर्सेली