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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
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<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक: किस तरह मिलूँ तुम्हें<br>
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&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[पवन करण]]</td>
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</tr>
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</table>
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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किस तरह मिलूँ तुम्हें
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क्यों न खाली क्लास रूम में
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<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
किसी बेंच के नीचे
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
और पेंसिल की तरह पड़ा
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तुम चुपचाप उठाकर
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रख लो मुझे बस्ते में
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क्यों न किसी मेले में
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<div style="text-align: center;">
और तुम्हारी पसन्द के रंग में
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
रिबन की शक़्ल में दूँ दिखाई
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</div>
और तुम छुपाती हुई अपनी ख़ुशी
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खरीद लो मुझे
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या कि कुछ इस तरह मिलूँ
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
जैसे बीच राह में टूटी
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
तुम्हारी चप्पल के लिए
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अपरिचित पास आओ
बहुत ज़रूरी पिन
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</pre>
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
<!----BOX CONTENT ENDS------>
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया