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| + | असमानों उत्तरी इल्ल वे | ||
| तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे | तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे | ||
| − | + | सभ्भे ने कुआरियाँ, जीवें ढोला ! | |
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| − | जीवें ढोला ! | + | |
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| ढोल मक्खना ! | ढोल मक्खना ! | ||
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| दिल परदेसियाँ दा राज़ी रखना ! | दिल परदेसियाँ दा राज़ी रखना ! | ||
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| '''भावार्थ''' | '''भावार्थ''' | ||
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| --'आकाश से चील उतरी | --'आकाश से चील उतरी | ||
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| अरे तुम्हारा किस युवती पर दिल है ? | अरे तुम्हारा किस युवती पर दिल है ? | ||
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| सभी कुंवारी हैं | सभी कुंवारी हैं | ||
| − | + | जीते रहो, सजन ! | |
| − | जीते रहो,  | + | ओ सजना ! ओ मक्खन ! | 
| − | + | परदेसीओं का दिल राज़ी रखना !' | |
| − | ओ  | + | </poem> | 
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17:11, 2 मार्च 2010 के समय का अवतरण
   ♦   रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
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- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
असमानों उत्तरी इल्ल वे
तेरा केहड़ी कुड़ी उत्ते दिल वे
सभ्भे ने कुआरियाँ, जीवें ढोला !
ढोल मक्खना !
दिल परदेसियाँ दा राज़ी रखना !
भावार्थ
--'आकाश से चील उतरी
अरे तुम्हारा किस युवती पर दिल है ?
सभी कुंवारी हैं
जीते रहो, सजन !
ओ सजना ! ओ मक्खन !
परदेसीओं का दिल राज़ी रखना !'