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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
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<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : खेलत फाग  <br>
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[रसखान]]</td>
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</table>
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
रसखान
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अपरिचित पास आओ
खेलत फाग सुहाग भरी, अनुरागहिं लालन क धरि कै ।
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भारत कुंकुम, केसर की पिचकारिन में रंग को भरि कै ॥
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आँखों में सशंक जिज्ञासा
गेरत लाल गुलाल लली, मनमोहन मौज मिटा करि कै ।
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मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
जात चली रसखान अली, मदमस्त मनी मन कों हरि कै ॥
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जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
</pre>
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स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
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हिलो-मिलो फिर एक डाल के
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
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खिलो फूल-से, मत अलगाओ
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया