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"गुमनाम लोग / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: गुमनाम लोग <poem>कहेगा कोई घोल दो ज़हर हवाओं में उसके आदेश पर ज़हर …)
 
 
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उसके आदेश पर  
 
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फिर वह कहेगा  
 
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इंकार कर दो  
 
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पहचानने से  
 
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सारे पहचान चिन्ह  
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मिटा दिए जाएंगे
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फिर हम आएंगे
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फिर हम आएँगे
गुमनाम पहचान वाले लोग!
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गुमनाम पहचान वाले लोग !
ज़हरीली हवाओं में सांस लेकर  
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ज़हरीली हवाओं में साँस लेकर  
 
टूटे रास्तों पर चलकर  
 
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करेंगे हवाओं को साफ़  
 
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जोड़ेंगे रास्तों को  
 
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सारे पहचान चिन्ह  
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खोई पहचान लौटाएँगे
 
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00:40, 7 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

कहेगा कोई घोल दो ज़हर
हवाओं में
उसके आदेश पर
ज़हर घोल दिया जाएगा

कहेगा वही
काट दो सब रास्ते
उसके आदेश पर
रास्ते काट दिए जाएँगे

फिर वह कहेगा
इंकार कर दो
पहचानने से
सारे पहचान-चिन्ह
मिटा दिए जाएँगे

फिर हम आएँगे
गुमनाम पहचान वाले लोग !
ज़हरीली हवाओं में साँस लेकर
टूटे रास्तों पर चलकर

करेंगे हवाओं को साफ़
जोड़ेंगे रास्तों को
सारे पहचान-चिन्ह
फिर से खड़े करेंगे
खोई पहचान लौटाएँगे