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"भावना की बात / नवारुण भट्टाचार्य" के अवतरणों में अंतर

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एक रोटी में छिपी है कितनी भूख
 
एक रोटी में छिपी है कितनी भूख
एक जेल कितनी इच्छाओं को बंद रख सकती
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एक जेल कितनी इच्छाओं को बंद रख सकती है
है
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एक अस्पताल में कितने कष्ट अकेले सोते हैं
 
एक अस्पताल में कितने कष्ट अकेले सोते हैं
 
कितने समुद्र हैं एक बारिश की बूँद में
 
कितने समुद्र हैं एक बारिश की बूँद में
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एक लड़की के होंठ छिपा सकते हैं
 
एक लड़की के होंठ छिपा सकते हैं
 
                 कितने चुंबन
 
                 कितने चुंबन
एक आँख में जाले पड़ने
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एक आँख में जाले पड़ने से कितनी रोशनियाँ  
से कितनी रोशनियाँ  
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                     गुल होने लगती हैं
 
                     गुल होने लगती हैं
 
   
 
   
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   कितने दिन अछूता बना  रखेगी  
 
   कितने दिन अछूता बना  रखेगी  
 
एक कविता लिखकर मचाया जा सकता है  
 
एक कविता लिखकर मचाया जा सकता है  
                कितना कोलाहल
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                  कितना कोलाहल
 
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08:07, 10 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

एक रोटी में छिपी है कितनी भूख
एक जेल कितनी इच्छाओं को बंद रख सकती है
एक अस्पताल में कितने कष्ट अकेले सोते हैं
कितने समुद्र हैं एक बारिश की बूँद में
एक पक्षी मरता है
           तो कितने आकाश समाप्त हो जाते हैं
एक लड़की के होंठ छिपा सकते हैं
                 कितने चुंबन
एक आँख में जाले पड़ने से कितनी रोशनियाँ
                    गुल होने लगती हैं
 
एक लड़की मुझे
   कितने दिन अछूता बना रखेगी
एक कविता लिखकर मचाया जा सकता है
                   कितना कोलाहल