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पता नहीं कितनी रिक्तता थी- | पता नहीं कितनी रिक्तता थी- | ||
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− | मैं सारी उम्र चमकने | + | मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में |
− | बीत गया | + | बीत गया |
भलमनसाहत | भलमनसाहत | ||
− | और मानसून के | + | और मानसून के बीच खड़ा मैं |
ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ | ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ | ||
मैं अपनी व्यवस्थाओं में | मैं अपनी व्यवस्थाओं में | ||
− | बीमार हूँ | + | बीमार हूँ |
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16:16, 29 मार्च 2022 के समय का अवतरण
पता नहीं कितनी रिक्तता थी-
जो भी मुझमें होकर गुज़रा -रीत गया
पता नहीं कितना अन्धकार था मुझमें
मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में
बीत गया
भलमनसाहत
और मानसून के बीच खड़ा मैं
ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ
मैं अपनी व्यवस्थाओं में
बीमार हूँ