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"दीपशिखा / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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यह महादेवी वर्मा जी की अत्यन्त प्रसिद्ध चित्र-गीतात्मक पुस्तक है जिसमें महादेवीजी ने अपनी कवितायें अपने बनाये चित्रों पर स्वयम् लिखी थीं। यह काव्य संग्रह 1942 में प्रकाशित हुआ था।
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जो स्थान महाकाव्यों में प्रसादजी की 'कामायनी' एवम् प्रबंधात्मक कविताओं में निरालाजी की 'राम की शक्ति पूजा' को प्राप्त है, वही स्थान आधुनिक गीतिकाव्य में 'दीपशिखा' को प्राप्त है. आधुनिक काव्य में श्रेष्ठ है गीतिकाव्य, गीतिकाव्य में श्रेष्ठ हैं महादेवी के गीत, एवम् महदेवीजी के गीतों में श्रेष्ठ है 'दीपशिखा'!
 
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* [[जो न प्रिय पहिचान पाती / महादेवी वर्मा]]
 
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* [[गोधूली इब दीप जगा ले / महादेवी वर्मा]]
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* [[मैं न यह पथ जानती री / महादेवी वर्मा]]
 
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* [[झिप चलीं पलकें तुम्हारी पर कथा है शेष!/ महादेवी वर्मा]]
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* झिप चलीं पलकें तुम्हारी पर कथा है शेष! / महादेवी वर्मा
* [[मोम सा तन घुल चुका / महादेवी वर्मा]]
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* मिट चली घटा अधीर! / महादेवी वर्मा
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* अलि कहाँ सन्देश भेजूँ? / महादेवी वर्मा
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* मोम सा तन घुल चुका / महादेवी वर्मा
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* कोई यह आँसू आज माँग ले जाता! / महादेवी वर्मा
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* मेघ सी घिर झर चली मैं! / महादेवी वर्मा
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* निमिष से मेरे विरह के कल्प बीते! / महादेवी वर्मा
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* सब आँखों के आँसू उजले, सबके सपनों में सत्य पला! / महादेवी वर्मा
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* फिर तुमने क्यों शूल बिछाए? / महादेवी वर्मा
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* मैं क्यों पूछूँ यह विरह-निशा,कितनी बीती क्या शेष रही? / महादेवी वर्मा
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* आज दे वरदान! / महादेवी वर्मा
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* प्राणों ने कहा कब दूर, पग ने कब गिने थे शूल? / महादेवी वर्मा
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* सपने जगाती आ! / महादेवी वर्मा
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* मैं पलकों में पाल रही हूँ यह सपना सुकमार किसी का! / महादेवी वर्मा
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* गूँजती क्यों प्राण-वंशी! / महादेवी वर्मा
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* क्यों अश्रु न हों श्रृंगार मुझे! / महादेवी वर्मा
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* शेष यामिनी मेरा निकट निर्वाण! पागल रे शलभ अनजान! / महादेवी वर्मा

22:27, 11 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

दीपशिखा
Deepshikha.jpg
रचनाकार महादेवी वर्मा
प्रकाशक
वर्ष 1942
भाषा हिन्दी
विषय कविता संग्रह
विधा गीत
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

यह महादेवी वर्मा जी की अत्यन्त प्रसिद्ध चित्र-गीतात्मक पुस्तक है जिसमें महादेवीजी ने अपनी कवितायें अपने बनाये चित्रों पर स्वयम् लिखी थीं। यह काव्य संग्रह 1942 में प्रकाशित हुआ था। इसमें कुल इक्यावन कविताएँ हैं. प्रत्येक गीत अनूठा एवम् चित्रात्मक है.

जो स्थान महाकाव्यों में प्रसादजी की 'कामायनी' एवम् प्रबंधात्मक कविताओं में निरालाजी की 'राम की शक्ति पूजा' को प्राप्त है, वही स्थान आधुनिक गीतिकाव्य में 'दीपशिखा' को प्राप्त है. आधुनिक काव्य में श्रेष्ठ है गीतिकाव्य, गीतिकाव्य में श्रेष्ठ हैं महादेवी के गीत, एवम् महदेवीजी के गीतों में श्रेष्ठ है 'दीपशिखा'!