भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साँचा:KKPoemOfTheWeek" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(7 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 130 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<div class='box_lk' style="background-color:#DD5511;width:100%; align:center"><div class='boxtop_lk'><div></div></div>
+
<div style="background:#eee; padding:10px">
<div class='boxheader_lk' style='background-color:#DD5511; color:#ffffff'></div>
+
<div style="background: transparent; width:95%; height:450px; overflow:auto; border:0px inset #aaa; padding:10px">
<div id="kkHomePageSearchBoxDiv" class='boxcontent_lk' style='background-color:#FFF3DF;border:1px solid #DD5511;'>
+
<!----BOX CONTENT STARTS------>
+
<table width=100% style="background:transparent">
+
<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
+
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
+
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : शीतल पेयजल पीता है सूरज  <br>
+
&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[दिनकर कुमार]]</td>
+
</tr>
+
</table>
+
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
+
बहुराष्ट्रीय कंपनियों का नया प्रतिनिधि
+
सूरज
+
डूबने से पहले शीतल पेयजल पीता है
+
और चाँद
+
एक बोतल की शक्ल में उभर आता है
+
  
बच्चे गाते हैं
+
<div style="font-size:120%; color:#a00000; text-align: center;">
विज्ञापन के गीत
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
उछलते हैं-नाचते हैं
+
अजीब-अजीब आवाज़ के साथ
+
एक खुशहाल देश को
+
प्रायोजित किया जाता है
+
+
किस कदर गद-गद होता है
+
अंग्रेज़ी में लिपटा हुआ देश
+
शेयर बाज़ार के दलालों के फूले हुए चेहरे
+
पाप और पुण्य की शिकन को
+
कभी महसूस नहीं कर सकते
+
  
जीने की ज़रूरी शर्त बन गई है
+
<div style="text-align: center;">
धूर्त होने की कला
+
रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
गरीबी की रेखा की ग्लानि से
+
</div>
ऊपर उठकर उधार की समृद्घि
+
तिरंगे पर फैल जाती है
+
  
कूड़ेदानों में जूठन बटोरते हुए बच्चों
+
<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
और अधनंगी औरतों के बारे में
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
कोई विधेयक पारित नहीं होता
+
अपरिचित पास आओ
ठंडे चूल्हों को सुलगाने के बारे में
+
 
न्यायपालिका के पास  
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
कोई विशेषाधिकार नहीं है
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
बाज़ारू बनने की होड़ में बिकाऊ
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
बना दिया गया है सूरज को
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
चाँद को धरती को
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
मनुष्य की गरिमा को
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
</pre>
+
 
<!----BOX CONTENT ENDS------>
+
सबमें अपनेपन की माया
</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
+
अपने पन में जीवन आया
 +
</div>
 +
</div></div>

19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया