भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चिड़या की बोली लिखो / मोहन आलोक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>चिड़या की बोली लिखो फूल का रंग लिखो निःशब्द । कलम कोअ आंखों से प…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | < | + | {{KKGlobal}} |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार= मोहन आलोक | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <Poem> | ||
+ | चिड़या की बोली लिखो | ||
फूल का रंग लिखो | फूल का रंग लिखो | ||
निःशब्द । | निःशब्द । |
02:20, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
चिड़या की बोली लिखो
फूल का रंग लिखो
निःशब्द ।
कलम कोअ आंखों से पकड़ो
बनाओ
आकाश को कागज ।
नजर को तीर की तरह गड़ाओ
और बींध दो
बादलों के पीछे के
बादल
उन बादलों के भी
पार के बादल ।
चिड़या की बोली लिखो
फूल का रंग लिखो
निःशब्द ।
अनुवाद : नीरज दइया