Last modified on 25 फ़रवरी 2013, at 20:10

"अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर

(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इक़बाल }} {{KKCatNazm}} <poem> अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा भू…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=इक़बाल
+
|रचनाकार=अल्लामा इक़बाल
 
}}
 
}}
 
{{KKCatNazm}}
 
{{KKCatNazm}}
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
 
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
  
राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> के तू समझती है
+
राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> को तू समझती है
 
और आँखों से देखता हूँ मैं
 
और आँखों से देखता हूँ मैं
  
 
  </poem>
 
  </poem>
 
{{KKMeaning}}
 
{{KKMeaning}}

20:10, 25 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण

अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं

दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं

राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> को तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं

 

शब्दार्थ
<references/>