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20:10, 25 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं
दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> को तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं
शब्दार्थ
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